Home > About Us

श्री सूरज प्रसाद डागा सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कॉलेज, कासगंज

विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान से अनुप्राणित कासगंज में अवस्थित ‘श्री सूरज प्रसाद डागा सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कॉलेज, कासगंज’, शिक्षा जगत का यशस्वी संस्थान है। मुझे गर्व है कि यह विद्यालय गति के साथ प्रगति के पथ पर अग्रसर है। शिक्षा के साथ-साथ भारतीय जीवन-मूल्यों पर आधारित संस्कारों की उज्ज्वल परम्परा इसका वैशिष्ट्य है। राष्ट्र-जीवन की वर्तमान चुनौतियों का धैर्य व साहसपूर्वक सामना करने वाली सुसंस्कृत, चरित्रवान युवा पीढ़ी का निर्माण हमारी प्रतिबद्धता है।

उपलब्धियाँ

विद्यालय की स्थापना सन् 1972 में हुई है, इतने अल्प समय में हमने जो उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं निम्नवत हैं:

  • माध्यमिक शिक्षा परिषद उ०प्र० आयोजित बोर्ड परीक्षा का उत्कृष्ट परिणाम ।
  • भारतीय शिक्षा समिति, ब्रज प्रदेशद्वारा आयोजित कक्षा अष्टम् की सरस्वती प्रतिभा खोज परीक्षा में प्रतिवर्ष अनेक छात्रों का चयन होता है।
  • विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्रों में विद्यालय के छात्रों का चयन।
  • क्षेत्रीय खेलकूद प्रतियोगिता में स्वर्ण एवं रजत पदक।
  • अखिल भारतीय खेलकूद प्रतियोगिता में कांस्य पदक।
  • सरकारी जिला खेलकूद प्रतियोगिता में विद्यालय ने सब जूनियर एवं जूनियर बालक वर्ग में जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
  • UPTU, CPT आदि प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रतिवर्ष विद्यालय के छात्रों का चयन।
  • विद्यालय की विशेषतायें

    पंचपदीय शिक्षण पद्धति (Panchpadiya Teaching Technique)- विद्यालय में बालक के सर्वार्गीण विकास की संकल्पना की गई है, इस निमित्त बाल मनोविज्ञान पर आधारित बाल केन्द्रित पंचपदीय शिक्षण पद्धति की व्यवस्था है, जिसमें अधीति, बोध, अभ्यास, प्रयोग एवं प्रसार की आयामों द्वारा छात्रों को विषय ज्ञान स्पष्ट कराया जाता है।

    पंचमुखी शिक्षण पद्धति(Panchmukhi Teaching Technique)- छात्रों के सर्वार्गीण विकास की दृष्टि से पंचमुखी शिक्षण की व्यवस्था है जिसमें शारीरिक, मानसिक, व्यावसायिक, नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास पर ध्यान दिया जाता है|

    केन्द्रीय आधारभूत विषय(Central Fundamental Subject)- विद्यालय में बालक के सर्वार्गीण विकास की संकल्पना की गई है, इस निमित्त बाल मनोविज्ञान पर आधारित बाल केन्द्रित पंचपदीय शिक्षण पद्धति की व्यवस्था है, जिसमें अधीति, बोध, अभ्यास, प्रयोग एवं प्रसार की आयामों द्वारा छात्रों को विषय ज्ञान स्पष्ट कराया जाता है।

    दृश्य-श्रव्य सामग्री(AudioVisual Aids)- शिक्षण की आधुनिक तकनीक के अन्तर्गत हमारे विद्यालय में डी.वी.डी. प्लेयर, प्रोजेक्टर एवं विभिन्न प्रकार के कैसिट व सी.डी. उपलब्ध है जिनके माध्यम से समय-समय पर शिक्षा प्रदान की जाती है।

    प्रयोगशालाएं(Laboratories)- विज्ञान एवं कम्प्यूटर विषयों का व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करने की दृष्टि से, Atal Tinkering Lab (Robotic Lab), भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, गणित व कम्प्यूटर की अलग-अलग प्रयोगशालाएं हैं, जो पर्याप्त उपकरणों से सुसज्जित एवं व्यवस्थित हैं।

    स्वास्थ्य परीक्षण(HealthCheck-Up)- विद्यालय में छात्रों का स्वास्थ्य परीक्षण योग्य चिकित्सकों द्वारा वर्ष में दो बार निःशुल्क कराया जाता है। स्वास्थ्य परीक्षण के दिन छात्र की उपस्थिति अनिवार्य होती है। चिकित्सकों की रिपोर्ट पर ध्यान देना अभिभावक का कर्तव्य है। प्रत्येक छात्र की स्वास्थ्य आख्या विद्यालय में उपलब्ध रहती है।

    सम्वाद(Samvad)-छात्रों में अभिव्यक्ति- कौशल विकास के लिए यह सशक्त मंच है जिसमें साहित्य, संगीत, कला, विज्ञान, धर्म एवं संस्कृति आदि के विशेषज्ञों के साथ छात्रों को अभिव्यक्ति का सुअवसर प्राप्त होता है।

    स्वस्छ भारत, स्वस्थ भारत मिशन(CleanBharat-HealthyBharat Mission)- इस योजना के अन्तर्गत प्रत्येक छात्र की सहभागिता अनिवार्य है। छात्र को अपने कक्षाचार्य जी के सानिध्य में रहकर इस मिशन में प्रत्यक्ष रुप से सक्रिय होकर परियोजना कार्य करना होगा। सफल छात्रों को पुरस्कृत किया जाता है।

    सामाजिक सरोकार

    उत्सव एवं जयन्तियाँ(Festivals And Aniversaries)- छात्र अपने सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक गौरव को पहचानें, अपने पूज्य महापुरुषों एवं मानबिन्दुओं के प्रति श्रद्धाभाव रखें, इस हेतु विभिन्‍न पर्वों एवं महापुरुषों की जयन्तियों का आयोजन विद्यालय में समय-समय पर किया जाता है। छात्रों को इस अवसर पर सम्बन्धित महापुरुषों के जीवन पर तैयारी करके बोलना होता है।

    अभिभावक सम्पर्क व्यवस्था(Visits Of Teacher)- प्रतिवर्ष हमारे आचार्यों द्वारा छात्रों के घर सम्पर्क करने की व्यवस्था है | सत्र के बीच-बीच में अभिभावकों को भी विद्यालय में छात्रों की प्रगति की जानकारी के लिए आमंत्रित किया जाता है | अतः अभिभावक की उपस्थिति आवाश्यक है|

    अभिभावक-शिक्षक मिलन(Parents-Teacher Meeting)- बालकों के बहुमुखी विकास में आचार्य एवं अभिभावकों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। इस निमित्त हमारे विद्यालय में बालवर्ग, किशोर वर्ग व तरूण वर्ग के अभिभावकों एवं शिक्षकों का सम्मेलन किया जाता है, जिसमें अभिभावकों की सक्रियता आवश्यक है। इन कार्यक्रमों में छात्रों के विकास हेतु अभिभावकों एवं आचार्यो के सुझाव का आदान – प्रदान होता है।

    राष्ट्रीय एवं सामाजिक चेतना(Nationality And Social Vigilancy)- विद्यालय सामाजिक चेतना के केन्द्र होते हैं । जब समाज या राष्ट्र में कोई समस्या/आपदा आती है, जैसे यमुना में बाढ़ आना, रेल दुर्घटना होना, पर्यावरण के समय समाज की पीड़ित वर्ग के लिए तन, मन एवं धन से समर्पित रहते हैं। माननीय प्रधानमंत्री द्वारा चलाये गये ‘स्वच्छता अभियान” के अन्तर्गत विद्यालय के छात्रों द्वारा समाज में व्यक्तिगत सम्पर्क कर 8225 नागरिकों को शपथ दिलायी गयी तथा विद्यालय के छात्रों द्वारा अपनी निजी संग्रह (2००७७ |४०१०५) से समाज की उपेक्षित बस्तियों में डस्टबिन का वितरण किया गया |

    संस्कृति बोध परीक्षा(Sanskriti Bodh Examination)- छात्रों को अपनी मातृभूमि, संस्कृति, धर्म, दर्शन, ऋषि-मुनियों एवं महापुरुषों के व्यक्तित्व व कृतित्व का भी ज्ञान हो, इस निमित्त हमारे विद्यालय में प्रतिवर्ष संस्कृति ज्ञान परीक्षा का आयोजन होता है, जिसका प्रमाण-पत्र समस्त छात्रों को प्रदान किया जाता है।

    ग्राम दर्शन एवं वृक्षारोपण(Visit Of Village And Plantation)- विद्यालय में प्रतिवर्ष छात्रों को एक गाँव के दर्शन हेतु ले जाने की व्यवस्था है, क्योंकि शहर में जन्में, प्रले-बढ़े छात्र गाँव की दुनियाँ से बिल्कुल अपरिवचित होते हैं, उन्हें नहीं प्रता कि गेहूँ, बाजरा, मक्का का प्रौधा कैसा होता है ? कृषि यंत्र कैसे होते हैं, गाँव की संस्कृति कैसी होती है ? ग्राम दर्शन द्वारा इन सभी बातों से छात्र परिचित होते हैं । प्रतिवर्ष हमारे छात्र वृक्षारोपण भी करते हैं, जो पर्यावरण संरक्षण का सबसे सस्ता व सर्वश्रेष्ठ उपाय हैं ।

    सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन(Continuous & Comphrehensive Evaluation) विद्यालय में छात्र के सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन की व्यवस्था है, जिसका उद्देश्य निम्न प्रकार है

    1. सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन के माध्यम से विद्यालय की सम्पूर्ण शिक्षण अवधि में शैक्षिक एवं शिक्षणेत्तर पक्षों के मूल्यांकन द्वारा शिक्षार्थी का सम्पूर्ण पार्श्व दृश्य प्रस्तुत किया जाता है।

    2. इसके माध्यम से शिक्षार्थी के ऐसे सकारात्मक गुणों की पहचान की जाती है जो सामान्यतः बोर्ड की परीक्षाओं के द्वारा चिन्हित नहीं किये जा सकते।

    3. कक्षा 6 से 12 तक की मूल्यांकन अवधि के दौरान विद्यालय को शिक्षार्थी में अन्तर्निहित विभिन्न क्षमताओं को पहचानने का अवसर उपलब्ध होता है।

    4. शिक्षार्थी की विभिन्न अभिवृत्तियों/विशेषताओं/दक्षताओं/निपुणताओं की पहचान विद्यालय द्वारा पाँच गोपनीय पैमाने पर की गयी है। पैमाने का प्रत्येक सोपान सम्प्राप्तियों के स्तर को निम्नवत् प्रदर्शित करता है।